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ई या यी, ए या ये, एँ या यें, क्या सही है?

सबसे पहले मैं उन शब्दों की छोटी-सी लिस्ट सामने रख देता हूँ जिनको लेकर संदेह है।


  1. गई या गयी, गए या गये, आई या आयी, आए या आये, आएँगे या आयेंगे, जाएँगे या जायेंगे, हुए या हुये, रोए या रोये, करवाई या करवायी, नयी या नई, किराये या किराए, रुपये या रुपए आदि।

  2. दीजिए या दीजिये, कीजिए या कीजिये, लीजिए या लीजिये, पीजिए या पीजिये, करिए या करिये, चाहिए या चाहिये, धराशायी या धराशाई, दुखदाई या दुखदायी, आदि।

  3. शुभकामनाएँ या शुभकामनायें, बलाएँ या बलायें, भाषाएँ या भाषायें, दुविधाएँ या दुविधायें आदि।


ऊपर की तीन सूचियों में से पहली दो सूचियाँ उन शब्दों की हैं जिनमें क्रियाएँ हैं, विशेषण हैं, संज्ञाएँ हैं और अव्यय भी हैं और जिनको व्याकरण की किताबों में अलग-अलग तरह से डील किया जाता है। तीसरी सूची उन शब्दों की है जो बहुवचन बनाने पर बनते हैं। इनके बारे में मैं अंत में बताऊँगा।



इऩ शब्दों के दो-दो रूप क्यों?

सबसे पहले तो आप यह जान लें कि इन शब्दों के दो-दो रूप प्रचलित क्यों हो गए? वजह यह कि कुछ शब्द थे जो व्याकरण के हिसाब से ‘यी’ अथवा ‘ये’ से अंत होते थे लेकिन जब उनको बोलते थे तो जो ध्वनि निकलती थी, वह ‘ई’ या ‘ए’ से मिलती थी। जैसे आप बोलिए – प्रज्ञा कल चली गयी। ‘गयी’ ही बोलिए, ‘गई’ नहीं। क्या आप आसानी से बोल पा रहे हैं? क्या बोलने में असुविधा नहीं हो रही?

हो रही होगी। शब्दों के इस रूप को श्रुतिरूप कहते हैं जहाँ लिखने में उनकी स्पेलिंग अलग होती है मगर बोलते समय अलग ध्वनि निकलती है। यही वजह है कि नयी दिल्ली नई दिल्ली हो गया और सभी अख़बारवाले अपने मास्टहेड पर और डेटलाइन में यही लिखने लगे। स्थिति यहाँ तक आ गई है कि मैं इस पोस्ट में नयी लिख रहा हूँ तो माइक्रोसॉफ्ट वर्ड का स्पेलचेकर उसे ग़लत बता रहा है जबकि नयी किसी भी दृष्टि से ग़लत नहीं है।



हल नं. 1 – जिन शब्दों के एकवचन पुल्लिंग-स्त्रीलिंग हैं, उनमें "यी" चलाएँ

तोपहला हल जो व्याकरण के हिसाब से बिल्कुल सही है, वह यह कि जिन शब्दों के पुल्लिंग एकवचन रूप में ‘या’ चलता हो, उनके स्त्रीलिंग रूपों में यी चलाएँ और जिनमें पुल्लिंग रूप में आ चलता है, उनके स्त्रीलिंग रूप में ई चलाएँ। इस हिसाब से


आयी (क्योंकि पु. में आया),

गयी (क्योंकि पु. में गया),

नयी (क्योंकि पु. में नया),

रोयी (क्योंकि पु. में रोया) और

करवायी (क्योंकि पु. में करवाया)


लिखा जाएगा। हम आआ या गआ तो कभी लिखते नहीं हैं, सो इस नियम से आयी-गयी समेत कई शब्दों के मामले में दुविधा ख़त्म हो जाएगी। इससे ‘हुयी लिखें या हुई’ यह सवाल भी हल हो जाएगा क्योंकि पुल्लिंग में हुआ लिखते हैं, तो स्त्रीलिंग में हुई होगा, हुयी नहीं।



हल नं. 2 – बाकी शब्दों में दोनों "यी/ये" और "ई/ए" सही हैं

इसके बाद आता है बाक़ी शब्दों का मामला जिनके पुल्लिंग एकवचन रूप या तो हैं ही नहीं या उनसे कोई अंदाज़ा नहीं लगता। जैसे -


जाएँगे/जायेंगे का सवाल इस नियम से हल नहीं होगा क्योंकि आप पुल्लिंग एकवचन में वह जाएगा भी लिखा पाते हैं और वह जायेगा भी।

लीजिए-लीजिये और आइए-आइये जैसे शब्दों का हल भी इससे नहीं निकलता क्योंकि इनका अलग से कोई पुल्लिंग एकवचन रूप है ही नहीं।

स्त्री को भी लीजिए/लीजिये कहेंगे और पुरुष को भी लीजिए/लीजिये कहेंगे।


लेकिन चूँकि आपने सूची नंबर 1 में ‘य’ को अपनाया है, इनमें भी ‘य’ को अपना सकते हैं। टंटा ही ख़त्म। हर जगह 'य' लगायें (हुयी को छोड़कर) – दीजिये, पीजिये, चाहिये, करिये, दुखदायी, धराशायी आदि। जैसा कि मैंने कहा, ये सारे शब्द व्याकरण की दृष्टि से फ़िट हैं सो कोई आपको टोक नहीं सकता कि आप इनको ऐसे क्यों लिख रहे हैं।


अगर आप हर जगह ई या ए चलाते हैं जैसे आई, गई, जाएँ, खाएँ, लीजिए, पीजिए, करिए, दीजिए, कीजिए, आइए, जाइए, चाहिए आदि। कोई अगर कहे कि शब्दकोश में तो यह शब्द नहीं हैं तो उनको बताइए कि सुनने में तो यही आता है और चूँकि हिंदी में जो लिखा जाता है, वही बोला जाता है और जो बोला जाता है, वही लिखा जाता है, इसलिए ई और ए लिखना ही ठीक है।



हल नं. 3 – विशेष शब्द

संज्ञा शब्दों को छेड़ने की कोशिश न करें जैसे नई दिल्ली।


लिया (क्रिया) का बहुवचन लिये (स्त्रीलिंग में लियी मत लिख दीजिएगा)

इससे ‘लिए’ (for) और ‘लिये’ (took) का झगड़ा भी सुलझ जाएगा और संज्ञा-विशेषण कुछ समझने का पचड़ा भी नहीं रहेगा।






 
 
 

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